दारुलइफ्ता गुलज़ार-ए-तैय्यबा का तार्रुफ़ 🌺
"जहाँ इल्म, तहक़ीक़ और अदब का मरकज़ हो"
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
दारुलइफ्ता गुलज़ार-ए-तैय्यबा एक ऐसा रौशन मरकज़ है जहाँ से उम्मत-ए-मुसलिमा को शरई रहनुमाई, इफ्ता का मज़बूत निज़ाम और इल्मी रौशनी हासिल होती है। इसकी बुनियाद तौहीद, सुन्नत और इल्म की बुलंदी पर रखी गई है।
इस दारुलइफ्ता की ख़ुसूसियात:
1. इल्मी तहक़ीक़:
हर जवाब कुरआन, हदीस और फिक्ह-ए-हनाफी की रौशनी में तहक़ीक़ और दलाइल के साथ पेश किया जाता है।
2. अदबी लहजा:
फतवे सिर्फ हुक्म नहीं बताते, बल्के अंदाज़ इतना दिलनशीं होता है कि पढ़ने वाला उसे समझ भी ले और अपनाने को जी चाहे।
3. हर सवाल को एहमियत:
चाहे सवाल आम हो या ख़ास — पूछने वाले की नीयत, ज़रूरत और समझ का पूरा ख़याल रखा जाता है।
4. किताबों की दौलत:
दारुलइफ्ता की लाइब्रेरी में एक हज़ार से ज़्यादा मुस्तनद किताबें मौजूद हैं — ये सब मुफ़्ती साहब की मेहनत, सब्र और इल्मी लगन का नतीजा है।
5. मुफ़्ती अबू अहमद एम.जे. अकबरी साहब:
जिन्होंने चंद किताबों से शुरुआत की। हसद करने वालों ने रुकावटें पैदा कीं, मगर उन्होंने ना थकना सीखा, ना रुकना। आज उनका इल्मी मुकाम ये है कि लोग फौरन उनके फतवे पर अमल के लिए तैयार हो जाते हैं।
ब्लॉग, व्हाट्सएप ग्रुप्स और सोशल मीडिया के ज़रिये दूर-दराज़ के लोग भी शरई मसाइल का हल हासिल कर रहे हैं।
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