काला बाल करने वाले लोग

دارुलइफ्ता गुलज़ार-ए-तैय्यबा – गुजरात (भारत)
Dār al-Iftā Gulzār-e-Ṭayyibah – Gujarat, India
فتویٰ نمبر: GT-KHZ-042 | तारीख़ ए इजरा: 14 ज़िलक़ादा 1446 हि / 13 मई 2025
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सवाल:
क्या स्याह खिजाब (काले रंग का हेयर डाई) लगाना जायज़ है? अगर किसी को कम उम्र में बीमारी की वजह से बाल सफेद हो जाएं, तो क्या वह खिजाब कर सकता है? और अगर कोई इमाम स्याह खिजाब करता हो तो क्या उसकी इमामत में नमाज़ मुकम्मल होगी? तफ़सील से रहनुमाई फ़रमाएँ।
(साइल: वली मुहम्मद अकबरी, आसपुर, ज़िला डूंगरपुर, राजस्थान)

जवाब:
الجواب بـــــــــــِـاِسْمِـــــــــــــٖہ تـَعـــالٰـــــــــــــــی وباللہ التوفیق

स्याह खिजाब (काला रंग लगाना) शरीअत में हराम और गुनाह-ए-कबीरा है।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم ने फ़रमाया:
“आख़िरी ज़माने में कुछ लोग होंगे जो अपने बालों को कबूतर के सीने की तरह काले करेंगे, वो जन्नत की ख़ुशबू तक नहीं पाएँगे।”
(سنن ابی داؤد: 4212، سنن ابن ماجہ: 3624)

और हज़रत अबू बकर रज़ि. के वालिद अबू क़हाफ़ा जब सफेद बालों के साथ हाज़िर हुए, तो नबी पाक صلی اللہ علیہ وسلم ने फ़रमाया:
“इन्हें किसी औरत के पास ले जाओ ताकि बालों को रंग दे लेकिन स्याह रंग से बचाए।”
(سنن ابن ماجہ: 3624)

सिर्फ़ जिहाद की हालत में स्याह खिजाब की रुख़्सत है, बाक़ी हर सूरत में यह हराम और फ़ासिक़ बना देने वाला अमल है।

फतावा रज़विया में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान रह. फ़रमाते हैं:
“स्याह खिजाब की इजाज़त का फतवा बातिल और मर्दूद है। शरीअत में इसकी सख़्त मना है।”
(फतावा रज़विया, जिल्द 5, सफा 445)

फ़तवा:
कम उम्र में बाल सफेद हो जाने पर भी स्याह खिजाब हराम रहेगा, अलबत्ता हिना (मेंहदी), कत्म या किसी गैर स्याह रंग से खिजाब करना जायज़ है।

अगर कोई इमाम स्याह खिजाब लगाता है:
तो वह शरीअत का खुल्लम खुल्ला खिलाफ करने वाला फासिक़ है और उसकी इमामत मकरूह-ए-तहरीमी है। नमाज़ हो जाएगी लेकिन गुनाह के साथ।

मस्जिद के जिम्मेदारान को चाहिए कि ऐसे इमाम को स्याह खिजाब से रोकें।
रसूलुल्लाह صلی اللہ علیہ وسلم ने फ़रमाया:
“अगर तुम्हें पसंद है कि अल्लाह तुम्हारी नमाज़ क़ुबूल करे तो नेक और परहेज़गार को अपना इमाम बनाओ।”
(फतावा रज़विया, जिल्द 5, सफा 445)

हदीस:
"जो आदमी स्याह खिजाब करेगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसका चेहरा स्याह कर देगा।"
(شرح صحیح مسلم, जिल्द 6, सफा 423)


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नतीजा:
स्याह खिजाब लगाना शरीअत में हराम है, चाहे बीमारी से बाल सफेद हुए हों या उम्र से।
इमाम अगर ऐसा करे तो नमाज़ मकरूह-ए-तहरीमी होगी।
खिजाब करना हो तो हिना या कोई दूसरा गैर स्याह रंग इस्तेमाल किया जाए।

والله تعالیٰ أعلم بالصواب
✒ मुफ़्ती अबू अहमद एम. जे. अकबरी
(दारुल इफ्ता गुलज़ार-ए-तैय्यबा, गुजरात)

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